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भारत की स्त्री-चेतना का प्रतिनिधित्व करती हैं मृदुला सिन्हा हरिवंश राय बच्चन के साहित्य में दर्शन और उल्लास
भारत की स्त्री-चेतना का प्रतिनिधित्व करती हैं मृदुला सिन्हा हरिवंश राय बच्चन के साहित्य में दर्शन और उल्लास
जयंती पर साहित्य सम्मेलन में दी गई काव्यांजलि
by
Arun Pandey,
November 27, 2025
in
बिहार
भारत की स्त्री-चेतना का प्रतिनिधित्व करती हैं मृदुला सिन्हा
हरिवंश राय बच्चन के साहित्य में दर्शन और उल्लास
जयंती पर साहित्य सम्मेलन में दी गई काव्यांजलि
पटना, २७ नवम्बर। भारत की स्त्री-चेतना का प्रतिनिधित्व करती हैं, महीयसी डा मृदुला सिन्हा। उनका सांपूर्ण जीवन, समाज, संस्कृति और साहित्य की सारस्वत सेवा करते हुए व्यतीत हुआ। गोवा के राज्यपाल समेत अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहीं, पर पद का अहंकार उन्हें छू तक नही पाया। वही सरलता, विनम्रता, स्नेह और सम्मान उनके हृदय के प्रत्येक बिंदु में, जीवन के अंतकाल तक लक्षित होते रहे। उनकी समर्थ लेखनी से प्रसूत हुई अद्भुत कृति सीता की आत्म-कथा मैं सीता हूँ, में भारत की नारी-चेतना अपनी पूरी ऊर्जा के साथ अभिव्यक्त हुई है। वो सरस्वती की साक्षात प्रतिमा थीं।
यह बातें गुरुवार को साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयन्ती-समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने जयंती पर अपने समय के अत्यंत लोकप्रिय कवि डा हरिवंश राय बच्चन को भी श्रद्धापूर्वक स्मरण किया तथा कहा कि जीवन के प्रति सकारात्मक राग, प्रेम और दर्शन के कवि हरिवंश राय बच्चन की "मधुशाला" परम चेतना की ओर एक सूक्ष्म संकेत है। वह कोई मद्यपों का स्थल नहीं, अपितु आनन्द के शास्वत स्रोत "ब्रह्म" है। उनके काव्य साहित्य में प्रेम, उल्लास और जीवन-दर्शन है।
समारोह का उद्घाटन करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहा कि बच्चन जी का संपूर्ण व्यक्तित्व आकर्षक था। उन्होंने जो कुछ भी लिखा, वह तब भी प्रासंगिक था और आज भी प्रासंगिक है। "मधुशाला", "मधुबाला" और "मधु कलश" जैसी उनकी काव्य-रचनाएँ आज भी लोकप्रिय हैं। डा मृदुला सिन्हा को स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि उनका व्यक्तित्व और साहित्य अत्यंत प्रेरणास्पद है।
सम्मेलन की उपाध्यक्ष प्रो मधु वर्मा, डा पुष्पा जमुआर, डा रमाकान्त पाण्डेय, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, ईं अशोक कुमार तथा शशि भूषण कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित कवि-गोष्ठी का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। वरिष्ठ कवयित्री डा पूनम आनन्द, जय प्रकाश पुजारी, सिद्धेश्वर, मृत्युंजय गोविन्द, कुमार अनुपम, डा मीना कुमारी परिहार, सागरिका राय, डा विद्या चौधरी, इंदु भूषण सहाय, रौली कुमारी, नीता सहाय, आकांक्षा कुमारी, सलोनी कुमारी आदि कवयित्रियों और कवियों ने अपनी रचनाओं से काव्यांजलि अर्पित की ।
मंच का संचालन युवा कवि सूर्य प्रकाश उपाध्याय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्णरंजन सिंह ने किया। इस अवसर पर डा चन्द्रशेखर आज़ाद,अश्विनी कविराज, उपेंद्र कुमार, रोहन कुमार, निशान्त कुमार, कृष्ण मोहन,रवि भूषण, प्रिंस कुमार, रिया कुमारी, विशाल कुमार, निशु कुमारी,श्वेता कुमारी, रौशनी कुमारी, कृतिका, रूपा कुमारी, रौशनी कुमारी, निकी कुमारी, शिवानी, नैन्सी कुमारी आदि सुधीजन उपस्थित थे।
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